थर्ड पार्टी ऑडिट महंगा होने से सिडकुल के उद्यमी परेशान

रुद्रपुर। मानसून सीजन में सिडकुल में ऑटोमोबाइल सेक्टर में उत्पादन की रफ्तार सुस्त पड़ गयी है। बाकी सेक्टर की कंपनियों के उत्पादन पर भी असर पड़ा है। मानसून सीजन में पहले से कम डिमांड के चलते गिरते उत्पादन के बीच उद्योगों के लिए थर्ड पार्टी ऑडिट महंगा हो गया है। बीते साल की तुलना में इसमें 80 से 85 फीसदी की बढ़ोतरी बताई जा रही है। बढ़े ऑडिट शुल्क से कंपनियों पर और अधिक आर्थिक बोझ पड़ना तय है। इससे सिडकुल उद्यमी परेशान हैं। उद्योग बंधु की बीते दिनों हुई बैठक में यह मामला उठाया गया था। उद्योगों के लिए मानसून सीजन अक्सर कम मुनाफे का समय होता है। खासतौर पर ऑटोमोबाइल सेक्टर पर मानसून का खासा असर पड़ता है। वहीं डिमांड कम होने के चलते इस दौरान कपंनियों का उत्पादन भी गिरता है। बीते एक-दो सालों में बिजली के रेट भी बढ़े हैं।

वहीं कोरोना काल के दौरान भी उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ा था। एक साल से कुछ स्थितियों में सुधार हुआ था। मई माह तक ऑटोमोबाइल सेक्टर में बाजार से अच्छी डिमांड थी लेकिन जून, जुलाई और अगस्त में उत्पादन गिरा है। वहीं अब थर्ड पार्टी ऑडिट भी महंगा हो गया है। हर कंपनी को साल में एक बार थर्ड पार्टी ऑडिट कराना होता है। बाहरी जांच एजेंसी इस ऑडिट को करती है। इस ऑडिट से कंपनियों में छोटी-मोटी कमियों की भी जानकारी मिल जाती है। एक्सटर्नल जांच एजेंसी इस ऑडिट करती है। इससे गलतियों से सुधारने का मौका भी मिल जाता है।वहीं सिडकुल के उद्यमियों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बार थर्ड पार्टी ऑडिट के शुल्क में भारी बढ़ोतरी हो गयी है। इसका असर छोटी से लेकर बड़ी कंपनियों तक पड़ेगा। जिस कंपनी में पूर्व में 30 हजार रुपये में थर्ड पार्टी ऑडिट हो जाता है, उसमें अब इस ऑडिट के लिए 55 हजार रुपये चुकाने होंगे।

कांट्रेक्ट लेबर बोनस देने के मिल रहे नोटिस: वहीं सिडकुल में कुछ कंपनियों को कांट्रेक्ट लेबर बोनस देने के भी नोटिस मिल रहे हैं। हालांकि, इस संबंध में जब श्रम विभाग से जानकारी ली गई तो उनका कहना था कि उनके स्तर से ऐसे कोई नोटिस नहीं दिए हैं।
कोट
श्रीकर सिन्हा, अध्यक्ष सिडकुल इंटरप्रेन्योर वेलफेयर सोसासटी, सिडकुल पंतनगर ने बताया कि थर्ड पार्टी ऑडिट शुल्क में 85 फीसदी तक बढ़ोतरी की गई है। उद्योग बंधु की बैठक में बीते दिनों उद्यमियों ने इस मुद्दे को उठाया था। पहले से बिजली के रेट बढ़े हैं और मानसून सीजन में उत्पादन गिरा है। ऐसे में थर्ड पार्टी ऑडिट के शुल्क में भारी बढ़़ोतरी से उद्योगों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव बढ़ेगा।

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