देहरादून। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने यूसीसी सेवाओं के लिए एक साल की समय सीमा के प्रावधान को लेकर स्पष्ट किया है किउक्त समय सीमा का संबंध के तहत होने वाली शादी, विवाह, तलाक, लिवइनरिलेशन जैसे पंजीकरण से है। इसे किसी भीअन्य सेवा शर्त नियम या अधिकार से जोड़े जाने का कोई औचित्य नहीं है।
कैबिनेट मंत्री महाराज ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी देश या राज्य में किसी भी स्थानपर सामान्य निवास के दौरान वहां के पते परअपना वोटरकार्ड, डीएल या अन्य दस्तावेज बनवा लेता है तो इसकाअर्थ यह कतई नहीं है कि उसे संबंधित देश या राज्य के मूल या स्थाई निवासी का दर्जा मिल जायेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में मूल एवं स्थाई निवासी बनने के लिए अलग नियम है जो कि पहले से ही चले आ रहे हैं उसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने यूसीसी सेवाओं के लिए एक साल की समय सीमा के प्रावधान को स्पष्ट करते हुए कहा कि यूसीसी के तहत किया गया कोई भी पंजीकरण उत्तराखंड का स्थाई निवास या मूल निवासी प्रमाणपत्र प्रधान नहीं करेगा। स्थाई निवास या मूल निवास का दर्जा केवल संबंधित प्रावधानों के तहत ही दिया जा सकता है ना कि यूसीसी के तहत। कहने का तात्पर्य यह है कि यूसीसी पंजीकरण का उत्तराखंड के मूल या स्थाई निवासी प्रमाण पत्र से कोई लेना देना नहीं है।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने लिव-इनरिलेशनशिप के पंजीकरण के विषय को स्पष्ट करते हुए कहा है किअगर कोई महिला या पुरुष उत्तराखंड में निवासरत किसी युवक या युवती के साथ लिव-इनरिलेशनशिप में रहना चाहता है या चाहती है तो उन्हें इसके लिए अनिवार्य पंजीकरण करना ही होगा।