देहरादून। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक व आध्यात्मिक धरोहर को जीवंत रखने के लिए ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ द्वारा दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में ‘भारतीय नववर्ष, विक्रम संवत 2082’ का भव्य समारोह आयोजित किया गया। हिन्दू पंचांग के अनुसार ‘विक्रम संवत’ नव वर्ष के शुभारम्भ का प्रतीक है। समारोह में बड़ी संख्या में भक्तों व जिज्ञासुओं ने आत्म उत्थान हेतु भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य आगंतुकों में ‘ब्रह्मज्ञान’ की शिक्षाओं द्वारा आध्यात्मिक जाग्रति, नवीनीकरण व एकता के भावों को उजागर करना रहा। ताकि वे नववर्ष पर जीवन के परम लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए शुभ संकल्प धारण कर सकें।
कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रह्मज्ञानी वेद पाठियों द्वारा ‘रुद्री पाठ’ के साथ किया गया। डीजेजेएस के प्रचारकों द्वारा प्रस्तुत भजनों ने उपस्थित भक्तजनों को दिव्य तरंगों से सराबोर कर उन्हें अपने भीतर दिव्यता से जुड़ने का सुअवसर प्रदान किया।
दिव्य गुरु आशुतोष महाराज (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के शिष्यों व डीजेजेएस प्रतिनिधियों द्वारा विक्रम संवत में निहित आध्यात्मिक संदेश को उजागर किया गया। उन्होंने समझाया कि विक्रम संवत को मनाने का उद्देश्य उत्सवी आनंद के साथ गहन आध्यात्मिक चिंतन व सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति जाग्रति को सम्मिलित किए हुए है। डीजेजेएस प्रतिनिधियों ने समझाया कि भारतीय नववर्ष का उत्सव स्वयं को सृष्टि की दिव्य लय के साथ जोड़ने का एक निमंत्रण है।
आध्यात्मिक प्रवचनों में इस तथ्य पर बल दिया कि ‘ब्रह्मज्ञान’ मानव अस्तित्व के परम सत्य को जानने की कुंजी है। इस दिव्य ज्ञान के माध्यम से व्यक्ति अहंकार, भ्रम व आसक्ति से ऊपर उठ परम चेतना के साथ ऐक्य का अनुभव कर सकता है।