नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश गुमानीवाला के आबादी क्षेत्र में लगाए जा रहे कूड़ा निस्तारण प्लांट के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड, राज्य प्रदूषण बोर्ड, जिलाधिकारी व राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। वहीं सुनवाई के दौरान राज्य प्रदूषण बोर्ड ने जानकारी दी प्लांट लगाने की अनुमति उनसे नहीं ली गई है। मामले में अगली सुनवाई के लिए 7 दिसंबर की तिथि नियत की है। मामले के अनुसार ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है। जिसमें कहा कि नगर के मेयर ने सरकारी धन को ठिकाना लगाने के लिए आननफानन में ऋषिकेश के गुमानीवाला में कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाने की अनुमति दे दी है। जिस क्षेत्र में यह प्लांट लगाया जा रहा है वह क्षेत्र आबादी वाला है। कूड़ा निस्तारण प्लांट में पांच शहरों के कूड़े का निस्तारण किया जाना है। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की नियमावली के अनुसार यह प्लांट आबादी क्षेत्र से बाहर लगाया जाना था, परन्तु मेयर ने इसे आबादी क्षेत्र में लगाने की अनुमति दे दी। जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश 2019 के खिलाफ भी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में कहा था कि ऐसे प्लांट आबादी क्षेत्र से बाहर स्थापित किए जाएं। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस पर रोक लगाई जाए।