बागेश्वर। कांडा तहसील के कांडे कन्याल में खड़िया खान का मलबा घरों में भरने से बेघर हुए परिवारों को मुआवजा नहीं मिलने से उनका भरोसा सरकार से उठ गया है। इसमें एक परिवार गांव छोड़कर कहीं और जाने को मजबूर हो गया है तो दूसरे ने मंदिर में जाकर भगवान की शरण में न्याय की गुहार लगाने की बात कही है। दूसरी तरफ प्रशासन के मुताबिक खड़िया खान के कारण होने वाले नुकसान पर आपदा मद से मुआवजा नहीं मिल सकता है।
बताया जा रहा है कि इसके लिए खान पट्टा धारक जिम्मेदार है। हैरत यह है कि खान पट्टा खुद प्रशासन ने दिया। पीड़ित ग्रामीणों के विरोध के बावजूद पट्टा जारी किया गया। अब खनन के कारण मकान टूटने पर प्रशासन और खान पट्टाधारक दोनों एक जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।
कांडा में ग्रामीणों के हितों को नजरअंदाज करके प्रशासन व सरकार ने खनन की अनुमति दी, जिसका ग्रामीण शुरू से विरोध करते रहे। खान मालिक ने जेसीबी, पोकलैंड के माध्यम से खनन शुरू करा दिया। गत वर्ष जब मां कालिका मंदिर, स्कूल व गैस गोदाम में दरारें आने लगी तो प्रशासन ने ग्रामीणों को उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया। पिछले दिनों तेज बरसात से कांडे कन्याल गांव के नरेंद्र राम व नंद राम के घर में मलबा भर गया। इसके अलावा दो और घरों को भी नुकसान हुआ है। इसके बाद ग्रामीणों ने विरोध किया तो तहसीलदार वहां पहुंचे और उसे फौरी राहत के तौर पर राशन दिया। एक परिवार पड़ोसी के घर में रह रहा है जबकि दूसरे की व्यवस्था पंचायत घर में की गई। मगर परिवार के लिए बिस्तर तक की व्यवस्था नहीं की गई। मंगलवार को मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। जानकी ने बताया कि उसके तीन बच्चे हैं, जिसमें पति व एक पुत्री बीमार है। उसका हल्द्वानी में इलाज चल रहा है।
क्षुब्ध परिवार ने गांव छोड़ा: खड़िया खान से प्रभावित तुलसी देवी पत्नी नंदन राम का कहना है कि अनुनय विनय के बाद जब प्रशासन व खान मालिक ने नहीं सुनी। क्षेत्र में खनन से उनके मकान टूट गए। क्षुब्ध नंदन ने अब गांव ही छोड़ दिया। वह अपने परिवार को लेकर अन्यत्र चला गया है। वहीं नरेश की पत्नी जानकी ने बताया कि वे भी गांव छोड़ने का मन बना रहे हैं क्योंकि उनका प्रशासन व सरकार से विश्वास उठ चुका है।
मंदिर में जाकर मांगेंगी न्याय: प्रभावित जानकी देवी ने बताया कि उनका अब प्रशासन व सरकार पर विश्वास नहीं रह गया है। उन्हें लगातार गुमराह करके झूठे आश्वासन दिए गए परंतु किसी ने सुध नहीं ली। जिस पर अब वह प्रशासनिक अधिकारियों व सरकार व जनप्रतिनिधियों, खान मालिक की सच्चाई के लिए मंदिरों में न्याय की गुहार लगाएंगी।
शिखा सुयाल, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि खनन क्षेत्र के समीप हुआ नुकसान आपदा के मानकों में नहीं आता है। इससे हुए नुकसान का मुआवजा के लिए खान पट्टा धारक ही जिम्मेदार रहेगा। –