नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी उच्च न्यायालयों, राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी), राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) व अन्य न्यायधिकरणों को यह बताने के लिए कहा है कि क्या वीडियो कांफ्रेंसिंग या हाइब्रिड प्रणाली के जरिए मामलों की सुनवाई की अनुमति दे रहे हैं या नहीं। शीर्ष न्यायालय ने यह भी बताने के लिए कहा है कि यदि नहीं तो क्यो? हाइब्रिड प्रणाली से मामले की सुनवाई के दौरान वकीलों और वादियों के पास किसी मामले में अदालत में स्वयं पेश होने के अलावा वीडियो-कांफ्रेंस के जरिये भी शामिल होने का भी विकल्प होता है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों के के महापंजीयकों, एनसीएलएटी, एनसीडीआरसी और एनजीटी के पंजीयकों को नोटिस जारी कर इस बारे में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। पीठ ने हलफनामा दाखिल कर यह बताने के लिए कहा है कि वीडियो कांफ्रेंसिंग या हाइब्रिड प्रणाली से मामलों की सुनवाई हो रही है या इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से भी ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण, ऋण वसूली न्यायाधिकरण और ऐसे अन्य अर्द्धन्यायिक निकायों में भी हाइब्रिड या वीडियो कांफ्रेंस से सुनवाई की स्थिति पर वित्त मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों से निर्देश लेने और अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता सर्वेश माथुर की याचिका पर विचार करते हुए यह निर्देश दिया है। उन्होंने याचिका में कहा है कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मामलों की सुनवाई बंद कर दी है और इसकी वजह से वादियों/प्रतिवादियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने ‘याचिकाकर्ता माथुर का इस तथ्य को सामने लाने के लिए धन्यवाद किया और कहा कि हम इस मामले में कुछ करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके बारे में हम लंबे समय से सोच रहे थे।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम उन सभी उच्च न्यायालयों से सवाल पूछेंगे जिन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग या हाइब्रिड प्रणाली से मामलों की सुनवाई बंद कर दी है। पीठ ने कहा कि अदालत याचिकाकर्ता के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित मामले की शीघ्र सुनवाई से संबंधित अन्य मुद्दों पर बाद में विचार करेंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि हम उच्च न्यायालय को याचिकाकर्ता के मामले में शीघ्र सुनवाई का आदेश पारित करते हैं तो याचिका का निपटारा करना होगा, ऐसे में मामलों की वर्चुअल सुनवाई संबंधी अन्य पहलुओं का समाधान नहीं हो पाएगा। पीठ ने कहा कि इसलिए याचिका को लंबित रखा जा रहा है।