रुद्रप्रयाग। केदारघाटी के ग्राम पंचायत रूद्रपुर में गोचर भूमि पर सब स्टेशन निर्माण की कार्यवाही करने पहुंचे पिटकुल के अधिकारी-कर्मचारियों का ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया। ग्रामीणों ने घंटों सड़क पर जाम लगाकर सरकार और पुलिस प्रशासन का विरोध कर नारेबाजी की। इस दौरान पुलिस कर्मी, प्रशासन के नुमंाइदों और आक्रोशित जनता के बीच नोक-झोंक और धक्कामुक्की भी हुई।
आक्रोशित महिलाओं को पुलिस कर्मियों ने पकड़ कर जबरत पुलिस वाहनों में बिठाया, जिससे आक्रोशित अन्य महिलाओं ने गुप्तकाशी जाखधार मोटरमार्ग को रूद्रपुर के निकट बड़े-बड़े बोल्डर रखकर सड़क जाम किया। घंटों तक पुलिस वाहनों में बैठी महिलाएं प्रशासन के विरूद्ध जमकर नारेबाजी करती रही। वहीं, राइंका से रूद्रपुर के बीच मोटरमार्ग छावनी में तब्दील किया गया था।
दरअसल, केदारघाटी की ग्राम पंचायत रूद्रपुर की लगभग छह हेक्टेयर गोचर भूमि पर वर्ष 2013 में बिना ग्राम पंचायत के एनओसी के पिटकुल ने विद्युत सब स्टेशन बनाने की पहल की गयी थी, जिसे लेकर सजग जनता ने पूर्व में भी कई बार इस पर हो रहे निर्माण कार्य को रोका था। बाद में ग्रामीणों ने हाईकोर्ट में जन हित याचिका दायर करके अवैध रूप से हो रहे निर्माण कार्य को रोकने की फरियाद की थी। हालांकि अभी कई दौरों की हेयरिंग के बाद कोई भी माकूल निर्णय नहीं निकल पाया है। क्षेत्रीय जनता की मानें तो मंगलवार को कोर्ट का निर्णय आना था, लेकिन इससे पूर्व पिटकुल मशीनों को लेकर उक्त गोचर भूमि पर निर्माण कार्य शुरू करना चाह रही थी, जिसे स्थानीय जनता की एकजुटता ने बाधित कर दिया। स्थानीय महिलाएं सुबह से देर सांय तक निराहार सड़क पर बैठी रहीं। तहसील और पुलिस प्रशासन ने उन्हें काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन बिना किसी सक्षम अधिकारी की मध्यस्थता ना होने से ग्रामीण देर सांय तक सड़क पर अड़िग रहे।
सामाजिक कार्यकर्ता गणेश शुक्ला, अनीत शुक्ला ने बताया कि उक्त विद्युत सब स्टेशन बरम्बाड़ी गांव के नाम पर स्वीकृत था, जिसे तत्कालीन ग्राम पंचायत विकास अधिकारी जो प्रशासक थे, उनके द्वारा बिना ग्रामीणों को अवगत कराये एनओसी जारी की थी। खास बात तो यह कि उक्त गोचर भूमि को इसी फर्जी एनओसी के आधार पर डीएफओ द्वारा पिटकुल को तीस वर्षों के लिये लीज पर दी गयी थी। जिसमें से लगभग पच्चीस वर्ष गुजर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब मामला कोर्ट में विचाराधीन है, तो पिटकुल कैसे उक्त भूमि पर निर्माण कार्य शुरू कर सकता है। साथ ही भूमि राजस्व के अधीन है। ऐसे में कैसे एक डीएफओ फर्जी तरीके से उक्त भूमि को लीज में दे सकता है।
उन्होंने कहा कि साफ दृष्टिगोचर है कि प्रशासन और पुलिस डंडे के बल पर गुंडई करके ग्रामीणों की उक्त हैरिटेज गोचर भूमि को कब्जाना चाह रही है। उन्होंने कहा कि जब तक कोर्ट का अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक उक्त भूमि पर किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं होने दिया जायेगा। यदि प्रशासन गुंडागर्दी करके कब्जे की फिराक में है तो स्थानीय जनता वृहद आंदोलन छेड़कर प्रशासन के विरूद्ध आंदोलन को बाध्य हो जायेगी। वहीं, इस मामले में जब तहसीलदार प्रदीप नेगी से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इस दौरान सैकड़ों स्थानीय लोग और चार दर्जन से अधिक पुलिस कर्मी, राजस्व उपनिरीक्षक और पिटकुल के कर्मचारी मौजूद थे।