देहरादून। लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड से पांचों लोकसभा सीटों को बड़े अंतर से जिताने में सीएम पुष्कर सिंह धामी की बेहद अहम भूमिका रही। उत्तराखंड से पांचों सीटों की हैट्रिक ऐसे समय हुई है, जब पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा अयोध्या तक हार गई। राजस्थान, हरियाणा, यूपी में भाजपा को हुए नुकसान के लिए जिस अग्निवीर योजना को बड़ी वजह बताया जा रहा है, सीएम धामी की मेहनत ने उस अग्निवीर योजना का प्रभाव उत्तराखंड में भी नहीं पड़ने दिया। प्रत्याशियों की एंटी इनकम्बेंसी के बावजूद सीएम धामी ने पीएम मोदी से किए अपने वादे को निभाते हुए उत्तराखंड से पांच कमल भेजे।
2014, 2019 के बाद 2024 में भी उत्तराखंड से भाजपा पांचों लोकसभा सीट बड़े अंतर से जीतने में कामयाब रही। जबकि जानकार इस बार उत्तराखंड से किसी बड़े उलटफेर की आशंका जता रहे थे। टिहरी, गढ़वाल, हरिद्वार, अल्मोड़ा सीट पर मुकाबला बेहद नजदीकी बताया जा रहा था। टिहरी, गढ़वाल, अल्मोड़ा सीट पर अग्निवीर के बड़े असर की बात की जा रही थी। टिहरी, अल्मोड़ा और नैनीताल सीट पर तो तीनों प्रत्याशी 2014 से लगातार चुनाव लड़ते आ रहे थे। गढ़वाल सीट पर प्रत्याशी अनिल बलूनी के खिलाफ कांग्रेस ने आक्रामक प्रचार छेड़ रखा था। सोशल मीडिया पर उन्हें दिल्ली वाला बता कर कांग्रेस ने जबरदस्त हवा बनपा रखी थी।
इन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच उत्तराखंड से पांचों लोकसभा सीटें एक बड़े अंतर से जीतना एक बड़ा चमत्कार माना जा रहा है। इस चमत्कार के पीछे सीएम पुष्कर सिंह धामी की अथक मेहनत, धुंआधार चुनावी प्रचार, आम जनता से सीधा संवाद असरदार रहा। सीएम धामी ने अकेले उत्तराखंड में ही दो सौ के करीब चुनावी रैलियां, सभाएं, रोडशो किए। चुनाव आचार संहिता लगने से पहले और बाद तक ताबड़तोड़ प्रचार किया। इसी प्रचार का नतीजा रहा, जो भाजपा पांचों सीटें बड़े अंतर से जीतने में कामयाब रही। टिहरी सीट पर निर्दलीय बॉबी पंवार के शानदार प्रदर्शन के बावजूद रानी माला राज लक्ष्मी ढाई लाख से अधिक वोटों से जीतीं। अल्मोड़ा सीट को भी तमाम किंतु परन्तु के बीच ढाई लाख से अधिक वोटों से जीता। नैनीताल सीट पर तो कमाल करते हुए साढ़े तीन लाख से जीत दर्ज की गई। गढ़वाल और हरिद्वार सीट पर तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद डेढ़ से पौने दो लाख वोटों से भाजपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। लोकसभा के इन नतीजों ने सीएम धामी की उत्तराखंड की जनता पर मजबूत पकड़ को एकबार फिर साबित किया। बता दिया कि किस तरह सीएम धामी ने जुलाई 2021 तक उत्तराखंड में भाजपा कैडर के टूट चुके आत्मविश्वास में दोबारा जोश भर कर 2022 में प्रचंड जीत का मार्ग प्रशस्त किया।
लोकसभा चुनाव के इन नतीजों ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के सियासी कद को राज्य से लेकर दिल्ली तक बढ़ा दिया है। सीएम धामी ने इन नतीजों के दम पर एक लंबी सियासी लकीर खींच दी है।