देेहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा किए गए बड़े-बड़े दावों पर प्रश्न खड़े करते बयान जारी किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दावा कर रहे हैं कि उत्तराखंड में 3 लाख, 50 हजार करोड़ का निवेश आएगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि उत्तराखंड को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।
करन माहरा ने कहा कि भाजपा नेताओं के बड़े-बड़े दावों से ऐसे में बहुत से नए प्रश्न और उठ खड़े होते हैं जिनका जवाब धामी सरकार को देना चाहिए। उत्तराखंड में उद्योगों के लिए कितनी भूमि उपलब्ध है? उत्तराखंड में कृषि के लिए केवल 13 प्रतिशत जमीन वर्गीकृत है, क्या किसानों, काश्तकारों से भूमि अधिग्रहण की जाएगी? क्या क्या देश दुनिया को आक्सीजन देने वाले उत्तराखंड के जंगलों को काट कर किसी बड़ी आपदा या विनाश को आमंत्रित किया जाएगा? पहाड़ों में वेडिंग डेस्टिनेशन बनाने के लिए पूर्व की भांति विकास के नाम पर क्या फिर हरे भरे हजारों पेड़ों की बलि दी जाएगी? एनजीटी के सख्त नियमों के कारण मसूरी, नैनीताल जैसे पर्यटन स्थलों में नए निर्माणों को लेकर रोक और आपत्तियां हैं, तो क्या अब पहाड़ों के अन्य नए वेडिंग डेस्टिनेशन बनाए जाने पर पहाड़ों के दोहन पर एनजीटी अपनी स्वीकृति देगा या प्रचंड बहुमत वाली डबल इंजन सरकार फिर कोई नया अध्यादेश लेकर आएगी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को याद दिलाना चाहूंगा कि उत्तराखंड के लोग भूले नहीं हैं कि 2019 साउथ अफ्रीका में बसे उद्योगपति गुप्ता बंधुओं ने डेस्टिनेशन वेडिंग के तहत औली में अपने 2 पुत्रों की शादी की थी जिसके कारण वहां गंदगी और कूडे़ के अंबार लग गए थे तथा धौलीगंगा समेत कई जलस्रोत दूषित हो गए थे, पर्यावरण विद् एवं उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अदालत के समक्ष पेश अपनी रिपोर्ट में कहा गया कि गुप्ता परिवार की शादियों के बाद औली में 320 टन कूडे़ का निस्तारण करना पड़ा। चार दिन तक चले शादी समारोह के दौरान रिजार्ट में 200 मजदूर रहे और उनके लिए शौचालयों की सुविधा के अभाव के चलते उन्हें खुले में शौच करना पड़ा और बारिश के पानी के साथ बहकर मानव मल धौलीगंगा में चला गया। ताकि सनद रहे मैं धामी सरकार को याद दिलाना चाहूंगा की 2018 में ऐसे ही इन्वेस्टर समिट के बाद भाजपा सरकार ने भू कानून (जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) को ही दांव पर लगा कर में बड़े बदलाव किए थे,क्या अब बाहर से आने वाले पूंजीपतियों और धन्ना सेठों को खुश करने के लिए धामी सरकार अब फिर भू कानून से खिलवाड़ करेगी।