लखनऊ। अपनी खास सुगंध और स्वाद के दम पर काला नमक धान
का चावल देश में ही नहीं, विदेश में भी लोगों की जुबान पर छा रहा है।
उत्तर प्रदेश की सरकार के प्रयासों से बीते तीन साल में इसके निर्यात में
तीन गुणा से अधिक की वृद्धि हुई है। सरकार ने इसे सिद्धार्थनगर का एक
जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित किया है और इसके लिए ब्रांडिग कर रही है।
राज्यसभा में 17 दिसंबर 2021 को दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2019/2020 में
इसका निर्यात 2 फीसद था।
अगले साल यह बढ़कर चार फीसद हो गया। 2021/2022 में यह सात फीसद रहा। काला
नमक धान को केंद्र में रखकर दो दशक से काम कर रही गोरखपुर की संस्था
पीआरडीएफ (पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन) के चेयरमैन डॉॅ. आरसी
चौधरी के अनुसार दो वर्षों के दौरान उनकी संस्था ने सिंगापुर को 55 टन और
नेपाल को 10 टन कालानमक चावल का निर्यात किया। इन दोनों देशों से अब भी
लगातार मांग आ रही है। इसके अलावा कुछ मात्रा में दुबई और जर्मनी को भी
इसका निर्यात हुआ है।
पीआरडीएफ के अलावा भी कई संस्थाएं काला नमक चावल के निर्यात में लगी हैं।
उल्लेखनीय है कि स्वाद, खुशबू और पोषण के लिहाज से भरपूर काला नमक धान को
भगवान बुद्ध का प्रसाद माने जाता है। सिद्धार्थनगर का ओडीओपी होने के साथ
इसे जीआई टैग भी हासिल है। इस सबके नाते यह भविष्य में निर्यात के मामले
में बासमती को टक्कर दे सकता है।
यह दुनिया का एक मात्र चावल है, जिसमें वीटा कैरोटिन के रूप में विटामिन
ए उपलब्ध है। अन्य चावलो की तुलना में इसमें प्रोटीन और जिंक की मात्रा
अधिक होती है। जिंक दिमाग के लिए और प्रोटीन हर उम्र में शरीर के विकास
के लिए जरूरी होता है। इसका ग्लाईसेमिक इंडेक्स कम (49 से 52 प्रतिशत)
होता है। इस तरह यह शुगर के रोगियों के लिए भी बाकी चावलो की अपेक्षा
बेहतर है।