देहरादून। पूर्व विधायक संगठन ने उत्तराखंड में सख्ती के साथ मूल निवास प्रमाण पत्र की व्यवस्था को लागू करने की मांग की। कहा कि स्थायी निवास की बाध्यता को समाप्त किया जाए। हिमाचल की तर्ज पर सख्त मजबूत भू कानून को लागू किया जाए। साथ ही पूरे प्रदेश में चकबंदी को भी लागू किया जाए। उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए संगठन अध्यक्ष लाखीराम जोशी ने कहा कि राज्य में सरकारी योजनाओं, नौकरियों समेत अन्य कार्यों में मूल निवास प्रमाण पत्र नहीं मांगा जा रहा है। जिन लोगों के मूल निवास प्रमाण पत्र बने हैं, उनसे भी स्थाई निवास प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। इस पर तत्काल रोक लगाई जाए। सख्ती के साथ मूल निवास प्रमाण पत्र की व्यवस्था लागू हो।
पूर्व कैबिनेट मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण ने कहा कि आज राज्य में बाहरी लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है। स्थानीय हक हकूकों पर बाहरी लोगों का कब्जा होता जा रहा है। ठेकेदार तक बाहर से आ रहे हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा की जाए। इसके लिए हिमाचल की तर्ज पर मजबूत भूकानून तैयार किया जाए। पहाड़ों को पलायन से राहत देने को चकबंदी पर गंभीरता से काम किया जाए। राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में नौकरी देने को आरक्षण लागू किया जाए। इसके लिए जल्द से जल्द प्रवर समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के साथ ही लागू किया जाए। सरकारी विभागों में आउटसोर्स की व्यवस्था पर रोक लगाई जाए। सीधी भर्ती कर बिचौलियों पर रोक लगाई जाए। इस अवसर पर पूर्व विधायक केदार सिंह रावत, भीमलाल आर्य मौजूद रहे।
आयोगों में रिटायर नौकरशाह नहीं, जन प्रतिनिधियों को मिले मौका
पूर्व विधायक संगठन ने आयोगों में रिटायर नौकरशाहों की जगह जन प्रतिनिधियों को मौका देने की मांग की। अध्यक्ष लाखीराम जोशी ने कहा की नौकरशाह रिटायरमेंट के बाद फिर आयोगों में एडजस्ट हो जाते हैं। वे कभी रिटायर ही नहीं होते। दैवीय आपदा के प्रभावितों का टिहरी बांध विस्थापन पुनर्वास नीति के तहत पुनर्वास किया जाए। पट्टा धारकों को मालिकाना हक दिया जाए। पुरानी पेंशन बहाल की जाए। आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किया जाए।