रुद्रपुर। सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ‘भारत का समृद्ध सांस्कृतिक अतीत, चिन्ताएं और वास्तविकताओं का रहस्योद्घाटन’ विषय पर चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का रविवार को समापन हो गया। समापन समारोह को ऑनलाइन संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा निदेशक प्रोफेसर चन्द्र दत्त सूंठा ने कहा कि भारतीय संस्कृति से युवाओं को परिचित कराना शिक्षकों का दायित्व है।
प्रो. सूंठा ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रकाश में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। प्रोफेसर ललित तिवारी निदेशक शोध एवं प्रसार प्रकोष्ठ कुमाऊं विश्वविद्यालय ने कहा कि भारत के सांस्कृतिक अतीत को उसकी समग्रता में देखे जाने की ज़रूरत है। भारतीय लोक प्रबंधन संस्थान नई दिल्ली के प्रोफेसर साकेत बिहारी ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को समझने के लिए हमें सबसे पहले अपने वैचारिक पूर्वाग्रहों को त्यागना होगा।
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य और हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शम्भू दत्त पांडेय ने कहा कि भारत की महान संस्कृति के तत्वों से युवाओं को परिचित कराने की ज़रूरत है। दो दिवसीय सेमिनार में कुल 23 शोधार्थियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। इन शोधपत्रों से प्राप्त निष्कर्षों को उचित माध्यम से सरकार को प्रेषित किया जाएगा, ताकि इनके आधार पर नीति निर्धारण में सहायता मिल सके।
इस दौरान महाविद्यालय में प्राध्यापक डॉ.राजेश कुमार, डॉ.रवीश त्रिपाठी, डॉ.शलभ गुप्ता, डॉ.सुनील मौर्य, डॉ.दीपमाला, डॉ.वकार हसन खान, डॉ.बामेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ.अपर्णा सिंह और शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागी डॉ.बबित कुमार विहान, डॉ. आशीष अंशु, गरिमा बिष्ट, अनु, रेणु भंडारी, प्रमोद वर्मा, जगदीश पांडेय, इल्मा मलिक, गौसिया, कुमारी शैलजा, ललिता धामी, हनी कुमार, अर्चना वर्मा, सुनील भारती, शिवांगी पांडेय, हर्षवर्धन, जयश्री जोशी आदि मौजूद रहे।