केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की आवजाही में लग सकता है कुछ दिन का समय

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पैदल आवाजाही के लिये बनकर तैयार हो गया है। हालांकि अभी घोड़े-खच्चरों की आवाजाही के लिये यात्रा मार्ग नहीं बन पाया है। आपदा में क्षतिग्रस्त स्थानों पर किसी तरह से मजदूरों ने पहाड़ी को काटकर रास्ता तैयार किया है। ऐसे में घोड़े-खच्चरों की आवाजाही के लिये पैदल मार्ग को तैयार होने में एक सप्ताह या दस दिन के आस-पास का समय लग सकता है। हालांकि डेंजर स्थानों पर पैदल मार्ग को इन दिनों तैयार करने का कार्य चल रहा है।

31 जुलाई की रात को केदारनाथ पैदल मार्ग को जंगलचटटी, भीमबली, गौरीकुंड घोड़ा पड़ाव, टीएफ चटटी, छोटी लिनचैली और कुबेर ग्लेशियर में काफी क्षति पहुंची थी। इन स्थानों पर पैदल यात्रा मार्ग का एक बहुत बड़ा हिस्सा पूरी तरह से ध्वस्त भी हो गया था। इन स्थानों पर पहाड़ियांे को काटकर दोबारा रास्ता तैयार किया गया है। फिलहाल इन स्थानों पर इंसानों की आवाजाही के लायक ही रास्ता बन पाया है। घोड़े-खच्चरों का इन स्थानों पर चलना मुश्किल है। इन डेंजर स्थानों पर लगभग दो मीटर तक रास्ता कट गया है। डेढ़ से दो मीटर रास्ते पर फिलहाल लोड़ेड घोड़े-खच्चरों का चलना मुश्किल है। यहां पर सिर्फ यात्री ही आवाजाही कर सकते हैं। यदि एक साइड से भी घोड़े-खच्चर चलते तो कुछ बात बन पाती, लेकिन पैदल यात्रा मार्ग पर दोनों छोरो से घोड़े-खच्चर चलते हैं, जिससे इन स्थानांे पर दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।

फिलहाल उक्त डेंजर स्थान पैदल आवाजाही के लायक बन गये हैं और अब इन स्थानों को घोड़े-खच्चरों की आवाजाही लायक बनाया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि पैदल यात्रा मार्ग एक सप्ताह या दस दिन के भीतर घोड़े-खच्चरों की आवाजाही के लिये बनकर तैयार हो जायेगा।

डीडीएमए गुप्तकाशी के अधिशासी अभियंता विनय झिंक्वाण ने बताया कि पैदल मार्ग को क्षतिग्रस्त स्थानों पर इंसानों की आवाजाही के लिये तैयार किया गया है। अतिवृष्टि के बाद से ही मजदूर दिन रात कार्य में लगे हुये हैं। उन्होंने बताया कि पैदल मार्ग पर अब यात्री आवाजाही कर सकते हैं, लेकिन घोड़े-खच्चरों की आवाजाही के लिये कुछ दिन का समय ओर लग सकता है। उन्होंने कहा कि धाम में राशन सहित अन्य आवश्यक सामग्री को फिलहाल हेलीकाप्टर के जरिये पहुंचाया जा रहा है।

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