तेल क्षेत्र संशोधन अधिनियम पेट्रोलियम उत्पादों में आत्मनिर्भरता और निवेश को बढ़ावा देने के लिए जरूरीः भट्ट

देहरादून। राज्यसभा सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने तेल क्षेत्र संशोधन अधिनियम पर बोलते हुए, इसे पेट्रोलियम उत्पादों में आत्मनिर्भरता और निवेश को बढ़ावा देने के लिए जरूरी बताया है। चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कांग्रेस टीएमसी सरकारों को आइना दिखाते हुए, इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को अपनी सरकारों में नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। पेट्रोलियम मंत्रालय में बतौर परामर्श समिति सदस्य उन्होंने आज राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा सदन के पटल पर प्रस्तुत तेलक्षेत्र (विनियमन तथा विकास) संशोधन अधिनियम-2024 पर चर्चा में भाग लिया। इस दौरान विधेयक की सराहना करते हुए देश में तेल एवं गैस उत्पादन क्षेत्र की बेहतरी के लिए जरूरी बताया।

उन्होंने कानून में संशोधन की आवश्यकता को संज्ञान में लाते हुए कहा, जिस गति से भारत का विकास पीएम मोदी के नेतृत्व हो रहा है, जिस प्रकार से भारत के अंदर आर्थिक समृद्धि बढ़ रही है उद्योग स्थापित हो रहे हैं उसमें निश्चित रूप से कह सकते हैं कि ऊर्जा की मांग बढ़ना स्वाभाविक है। हालांकि भारत में स्वतंत्रता के बाद कच्चे तेल के उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, बावजूद इसके कि यह सीमित राज्यों तक संभव हुआ है। तेल उत्पादन आंकड़ों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, हमारी आवश्यकता 230 एमएमटी की है, आयात दर लगातार बढ़ते हुए वर्तमान में 85 फीसदी पहुंच गई है। आज भारत में प्रतिदिन एक लाख 16 हजार 370 बैरल तेल का उत्पादन हो रहा है जो विश्व में 20 वे स्थान पर है।

इस विधेयक के पारित होने के बाद विशेष रूप से प्राकृतिक गैस उत्पादन में वृद्धि होना निश्चित है। हमे विश्वास है कि इससे परिवहन प्राकृतिक गैस में देश आत्मनिर्भर बन जाएगा। उन्होंने कहा, मोदी जी का हमेशा रहता है, जिस भी क्षेत्र में हम पीछे हैं उसके विकास को बढ़ाया जाए। यही वजह है कि पेट्रोलियम उत्पादों को लेकर विदेशों पर निर्भरता कम करके के लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता हैं।

कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में प्रतिदिन खोज चल रही है और इससे संबद्ध इकाइयों की संख्या में वृद्धि हो रही है। जिसमें सरकार के साथ पब्लिक सेक्टर और निजी क्षेत्र के उद्यमी अपना योगदान दे रहे हैं। क्योंकि इस तरह की परियोजनाएं बेहद खर्चीली होती है लिहाजा निवेशकों की तकनीकी दिक्कतों एवं पूंजी जोखिम को कम करने को ध्यान में रखते हुए इस विधेयक को लाया गया है।  

उन्होंने संशोधन अधिनियम की बारीकियां का जिक्र करते हुए कहा, पेट्रोल परिचालन एवं खनन इकाईयों से संबंधित अनुमति सभी सरकारी विभागों से जल्दी-जल्दी मिले, इसका एक्ट में प्रावधान किया गया। इस संशोधन के बाद इस क्षेत्र में छोटे निवेशक भी हाथ आजमा सकते हैं। जिसके तहत वे आपस में मिलकर पार्टनरशिप के माध्यम से ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर सकते हैं। वहीं इसमें मानवीय पहलुओं को देखते हुए आजीवन कारावास की सजा को आर्थिक दंड में तब्दील करने का प्रावधान भी है। चर्चा में उन्होंने यूपीए की तत्कालीन सरकार एवं विपक्ष शासित राज्य सरकारों पर इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को लेकर अनदेखी करने का आरोप लगाया। जिस संदर्भ में उन्होंने कहा, 2014 से पूर्व इस कार्य के लिए नामांकन क्षेत्र में एक भी उत्पादन इकाई पर काम नहीं किया गया।

वहीं सदन हो हल्ला मचा रही टीएमसी सांसदों को आईना दिखाते हुए कहा, बंगाल में ऐसे एक प्रोजेक्ट पर ओएनजीसी 1 हजार करोड़ से ऊपर निवेश कर चुकी है लेकिन राज्य की सरकार इस और कोई ध्यान नहीं दे रही है। जबकि इसके पूरा होने से राज्य को 8 हजार करोड रुपए का लाभ प्राप्त हो सकता है। वहीं उम्मीद जताते हुए कहा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में यह संशोधन उत्पादन के साथ उद्योगों में प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ मार्केट रेट को कम करने में सफल होगा।  

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