टिहरी। शनिवार को जिला कलेक्ट्रेट सभागार नई टिहरी में टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय एवं जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की उपस्थिति में मानव वन्यजीव संघर्ष न्यूनीकरण कार्यशाला के अन्तर्गत जन संवाद कार्यक्रम आहूत किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में गुलदार, सुअर, बंदरों, भालू, सांप, ततैया आदि कई तरह के जंगली जानवरों, कीड़े मकोड़ों से मानव एवं कृषि को हो रही क्षति की बात रखी गई। उन्होंने ततैया के काटने से हो रही मृत्यु दर वृद्धि को गम्भीरता से लेने तथा एक क्षेत्र से इस पकड़े गए बन्दरों को दूसरे क्षेत्र में छोड़ने की शिकायत करते हुए बंदरों का बधियाकरण करवाए जाने की मांग की गई। इसके साथ ही लावारिश पशुओं से हो रहे नुकसान की भरपाई व मानव सुरक्षा की मांग की गई। इस मौके पर वनाग्नि के सम्बन्ध में भी चर्चा की गयी।
जनप्रतिनिधियों की मांग व शिकायत सुनने के पश्चात जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी घटना में मानव की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु जिला योजना से कराये जा रहे कार्याे के अलावा अन्य मदों से भी सुरक्षा कार्य किये जा सकते हैं। बताया कि जिला योजना से इस वर्ष दस करोड़ की धनराशि केवल घेरबाड हेतु स्वीकृत की गयी हैं किन्तु उससे सभी जगह घेरबाड नहीं हो सकती है। उन्होंने सभी जन प्रतिनिधियों से अपील की कि जिन कार्याे को कराने का निर्णय पंचायत स्तर पर लिया जाता है, उनमें संशोधन कर सुरक्षात्मक कार्य पहले किए जाएं तो बेहतर परिणाम आएंगे। इसके लिए जो भी सहयोग की अपेक्षा की जायेगी उसके लिए जिला प्रशासन द्वारा हर सम्भव मदद की जायेगी। उन्होने कहा कि मनरेगा से घेरबाड के कार्याे में जो नियमानुसार दिक्कतें आ रहीं है उन पर जल्दी ठोस कदम उठाकर निवारण किया जायेगा।
इस मौके पर डीएफओ टिहरी पुनीत तोमर ने कहा कि जनपद में तेंदवे से सावधानी हेतु घरों के आस-पास की झाडियों का कटान अनिवार्य है क्योंकि तेंदुवा घात लगाकर ही हमला करता है। इसलिए घरों के पास झाडियों का होना घातक है। उन्होने बताया कि वन विभाग के द्वारा आवश्यकतानुसार लाईट वितरण का कार्य भी किया जाता है। बंदरों को खाना देने से वे आबादी क्षेत्र में आ रहे हैं। उन्होंने कहा बन्दरों से नजर न मिलाएं व उनके झुण्डों वाले क्षेत्र में अकेला चलने से बचे।
डीएफओ नरेन्द्रनगर जीवन दगाडे ने बताया कि ततैया अक्सर जुलाई और अगस्त माह में सक्रिय होते है और अक्टूबर-नवम्बर माह में मौसम परिवर्तन के कारण मानव को क्षति पहुंचाते हैं।अक्सर घरों की छतों पर रखे जाने वाले कद्दू की वजह से भालू भी मानव बस्ती की ओर रूख भी इन्ही महिनों में करते हैं। इसलिए इन महिनों में सावधानी बरतने की जरूरत है।
इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक ने कहा कि सभी वन्य जीवों के सम्बन्ध में जो जो बात बताई गई हैं, उन्हें अमलीय जामा पहनाने की जरूरत है। इसमें सभी का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका व जिला पंचायत अपने-अपने क्षेत्र में खाना व कूड़ा आदि फेंकने वालों पर कार्यवाही करें। वन विभाग द्वारा जिन सड़को पर रोक लगा रखी उन पर जल्दी ही ठोस कदम उठाये। वन विभाग ये भी स्पष्ट कर खबर प्रकाशित करे कि किन पौधों को काटने की अनुमति कास्तकारों को वन विभाग से लेनी तथा किन पेडों को कास्तकार स्वयं की मर्जी से कट सकते हैं। इस पर वन विभाग के अधिकरी ने 17 प्रजाति के पौधों को काटने की अनुमति लेने की बात कही गई। उन्होंने बताया कि इस वर्ष आडा जलाने की अवधि 15 फरवरी से पूर्व की होगी क्योंकि तब तक धूप धीमी रहती है ।
इस अवसर पर अधीक्षण अभियन्ता लोनिवि मनोज बिष्ट, एसडीओ रश्मि ध्यानी व राखी जुयाल, अजपाल पंवार, विनोद रतूडी, जगदम्बा रतूडी, उदय रावत, राजेन्द्र डोभाल, विजय कठैत सहित जनपदभर से आये जनप्रतिनिधि व विभागीय कार्मिक उपस्थिात रहे।