नई दिल्ली। भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि 30 सितंबर, 2022 तक सीएपीएफ और असम राइफल्स में महिला कर्मियों का प्रतिनिधित्व केवल 3.76 प्रतिशत है।
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व को उजागर करते हुए एक संसदीय समिति ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से उन्हें सेवाओं में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने वाले कदम उठाने को कहा है। इसके अलावा ट्रांसजेंडरों के लिए आरक्षण की भी सिफारिश की गई है। अपनी ताजा रिपोर्ट में समिति ने कहा कि महिला अधिकारियों के लिए एक ऐसी नीति पर विचार किया जा सकता है, जिसमें आसान पोस्टिंग दी जाए और उन्हें अत्यधिक कठिन कामकाजी परिस्थितियों का सामना न करना पड़े।
भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि 30 सितंबर, 2022 तक सीएपीएफ और असम राइफल्स में महिला कर्मियों का प्रतिनिधित्व केवल 3.76 प्रतिशत है। समिति ने “भारत सरकार के भर्ती संगठनों के कामकाज की समीक्षा” पर अपनी 131वीं रिपोर्ट में कहा, “समिति इस बात की वकालत करती है कि महिलाओं को अधिकतम संभव सीमा तक सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा सभी आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। एक बड़ी बाधा जो महिलाओं को सेना में शामिल होने से रोकती है वह कठिन इलाके और परिस्थितियां हैं, जिनमें उन्हें काम करना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इसलिए महिला अधिकारियों को शांत जगहों पर पोस्टिंग देने और उन्हें अत्यधिक कठोर एवं कठिन कामकाजी परिस्थितियों में न रखने की नीति पर विचार किया जा सकता है। जब तक कि युद्ध या सशस्त्र विद्रोह जैसी चरम परिस्थितियों में आवश्यक न हो और वह भी तब जब बलों द्वारा तैनात किए जा सकने वाले पुरुषों की पूरी तरह कमी हो। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि ट्रांसजेंडरों को भी इस प्रकार का आरक्षण दिया जा सकता है। ट्रांसजेंडरों की भर्ती के लिए भी कदम उठाए जा सकते हैं ताकि निकट भविष्य में उन्हें मुख्यधारा के समाज के साथ अच्छी तरह से एकीकृत किया जा सके।
केंद्रीय बलों में महिलाओं के न्यूनतम प्रतिशत के अनिवार्य मुद्दे पर समिति ने कहा, आज तक महिलाओं के लिए केवल 3.65 प्रतिशत रिक्तियां ही भरी गई हैं। समिति ने कहा, बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) और एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) में महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 14 से 15 प्रतिशत है। सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) में यह 6.35 प्रतिशत और आईटीबीपी (भारत तिब्बत सीमा पुलिस) में यह 2.83 प्रतिशत है।
समिति ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा, इसलिए कुछ बाधाएं हैं जो महिलाओं को सेना में शामिल होने से रोक रही हैं। इसमें कहा गया कि सीएपीएफ में महिलाओं के लिए कोई विशेष आरक्षण नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है हालांकि, सीएपीएफ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए 2011 में महिला सशक्तिकरण पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों के आधार पर तीन वर्षों के भीतर बलों में महिलाओं की संख्या पांच फीसदी तक लाने के निर्देश जारी किए गए थे।
30 सितंबर, 2022 तक सीएपीएफ और असम राइफल्स (एआर) में 34,278 महिला कर्मी तैनात थीं। इनमें से 1,894 असम राइफल्स में, 7,470 बीएसएफ में, 9,316 सीआईएसएफ में, 9,427 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में, 2,514 आईटीबीपी में और 3,657 एसएसबी में थीं।
समिति ने यह भी कहा कि सीमावर्ती जिलों से अधिकतम संख्या में युवाओं की भर्ती करना सर्वोपरि है और छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तर पूर्वी राज्यों और कश्मीर के स्थानीय युवाओं के लिए एक विशेष अभियान की सिफारिश की गई है। समिति ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और असम राइफल्स में सभी रिक्तियों को मिशन मोड पर भरने पर जोर दिया। एक जनवरी, 2023 तक सीएपीएफ और एआर में 83,127 रिक्तियां थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से एआर में 1,666 रिक्तियां, बीएसएफ में 19,987, सीआईएसएफ में 19,475, सीआरपीएफ में 29,283, आईटीबीपी में 4,443 और एसएसबी में 8,273 रिक्तियां शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, समिति की सिफारिश है कि बलों से कितने लोग सेवानिवृत्त हो रहे हैं, कितनी रिक्तियां सृजित हुई हैं और क्या रिक्त पदों पर लोगों को नियुक्त किया गया है, इसकी निगरानी के लिए एक मजबूत तंत्र होना चाहिए। अर्थात सृजित रिक्तियों को नियमित रूप से भरा जाना चाहिए और बैकलॉग से बचा जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि सभी विभागों को सभी स्थानों पर सख्ती से निर्देशित किया जाना चाहिए कि वे समय पर रिक्तियों का विवरण गृह मंत्रालय को भेजें और रिक्तियों का विवरण भेजने में सालों-साल न लगे।