देहरादून। करोडों रूपये की ठगी के आरोपी को एसटीएफ ने दो साल बाद रूद्रपुर से गिरफ्तार कर लिया है। मिली जानकारी के अनुसार शातिर व इनामी अपराधियों की शतप्रतिशत गिरफ्तारी हेतु पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड के ऑपरेशन प्रहार’ के तहत उत्तराखंड एसटीएफ द्वारा एक और बड़ी कामयाबी हासिल की गई है।
मंगलवार को सीओ एसटीएफ आरबी चमोला द्वारा, प्रभारी निरीक्षक एमपी सिंह के नेतृत्व में गठित टीम द्वारा थाना हल्द्वानी जनपद नैनीताल में वांछित 25 हजार रूपये के ईनामी अपराधी आशुतोष चतुर्वेदी पुत्र जयप्रकाश निवासी वार्ड न.-4 केशवपुरम थाना आईटीआई, काशीपुर को रुद्रपुर से गिरफ्तार किया गया है। एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल द्वारा बताया गया कि उनकी टीम के द्वारा एक शातिर अन्तर्राज्यीय ठग को रुद्रपुर क्षेत्र से गिरफ्तार किया है जिसके ऊपर उत्तराखण्ड और यूपी में धोखाधड़ी व ठगी के करीब 3 मुकदमें दर्ज हैं। यह एक तरह का आर्गेनाइज क्राइम था जिसमें इसके द्वारा अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर, एक जेकेवी मल्टी स्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव नामक सोसाइटी बनाकर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान व बिहार में अपनी ब्रांच खोलकर लोगों से भिन्न-भिन्न स्कीमों में ज्यादा ब्याज का लालच देकर करोड़ों रुपए की धनराशि निवेश करवाकर गबन किया गया था। उपरोक्त समिति की खटीमा तथा हल्द्वानी में भी ब्रांच थी जिसमें खटीमा में लोगों का करीब एक करोड़ 25 लाख तथा हल्द्वानी में करीब 90 लाख रूपये का गबन आरोपियों द्वारा किया गया था। आशुतोष चतुर्वेदी उपरोक्त सोसाइटी में डायरेक्टर के पद पर था। आरोपी थाना हल्द्वानी जनपद नैनीताल के व थाना गंगनहर जनपद हरिद्वार के मुकदमों में वांछित था तथा लम्बे समय से फरार चल रहा था, इस पर 25 हजार रूपये का ईनाम घोषित किया था।
करीब 2 वर्ष के बाद मंगलवार प्रातः रुद्रपुर बस अड्डे के पास से इसकी गिरफ्तारी की गयी है, इसके अन्य साथियों की गिरफ्तारी के लिए भी टीमें कार्य कर रही हैं। शीघ्र ही आगे और भी गिरफ्तारियाँ की जायेंगी। एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि सोसायटी के निदेशक, अधिकारी, कर्मी अशिक्षित, गरीब, बेरोजगारों को कम समय में रकम दोगुनी करने का झांसा देते थे। इस बाबत उनका सोसायटी में खाता खुलवाया जाता और रकम जमा कराई जाती। बाद में बैंक खातों के जरिये जमा रकम को सोसायटी के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता था। वहां से रकम का गबन हो जाता था। अभी तक की जाँच-पड़ताल से 2 करोड़ से ज्यादा का गबन सामने आया है। वहीं अन्य राज्यों की शाखाओं का गबन मिलाकर घोटाला कई करोड़ों तक पहुँच सकता है।