विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सरकार द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सहकारी बैंक में सहयोगी/गार्ड की नौकरी पाये लगभग 12 लोगों को नौकरी से बाहर कर दिया गया, जिसमें देहरादून, पिथौरागढ़ व उधमसिंह नगर के नौकरी पाये कर्मचारी थे। उक्त उठाया गया कदम सरकार की नजर में सराहनीय तो हो सकता है, लेकिन यह सिर्फ जनता की आंख में धूल झोंकने जैसा है।
नेगी ने कहा कि मुख्य रूप से मोटी रकम देकर नौकरी पाये लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में सरकार की सांस क्यों फूल रही है। बेलवाल समिति की जांच रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने से सरकार क्यों डर रही है। हैरानी की बात है कि सरकार द्वारा मामले को टालने के लिए कई बार जांच पर जांच व परामर्श की नौटंकी का सहारा लिया, लेकिन मा.उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के चलते थोड़ा बहुत कदम उठाने को सरकार ने यह कार्रवाई की, जिसमें सरकार को 25 जून तक घोटाले में हुई कार्रवाई का जवाब देना है द्यउक्त भर्ती में नौकरी पाने के समय कई अभ्यर्थियों ने अपने बैंक खातों से बहुत बड़ी रकम लगभग 10-15 लाख (प्रत्येक ने) रुपए का लेनदेन किया है एवं ऊंची पहुंच वालों का विशेष ध्यान रखा गया। इन लोगों के खाते की क्यों जांच क्यों नहीं की गई, जबकि मोर्चा द्वारा स्पष्ट रूप से बैंक से हुए लेनदेन की जांच की मांग की गई थी।
नेगी ने कहा कि सहकारिता विभाग द्वारा प्रदेश के सहकारी बैंकों में 423 चतुर्थ श्रेणी (सहयोगी/ गार्ड) कर्मचारियों की भर्ती कराई गई थी, जिसमें देहरादून, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा व उधम सिंह नगर जनपद में बड़े पैमाने पर जालसाजों ने भर्ती घोटाले को अंजाम दिया था, जिसको लेकर सरकार ने 01 अप्रैल को जांच कमेटी गठित की थी। मोर्चा राजभवन से अपनी मूर्छा छोड़ उक्त पूरे प्रकरण की जांच रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने की मांग करता है। पत्रकार वार्ता में प्रवीण शर्मा पिन्नी व अमित जैन मौजूद रहे।