नई दिल्ली। गुजरात हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय नाबालिग लडक़ी को करीब 27 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दे दी,
जिसके साथ उसके पिता ने कथित तौर पर बलात्कार किया था। जस्टिस समीर दवे ने वड़ोदरा स्थित सर सयाजीराव गायकवाड़ अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर गौर किया, जिन्होंने चिकित्सकों के एक पैनल से पीडि़ता की मेडिकल जांच कराने का 4 सितंबर को निर्देश दिया था। रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने करीब 27 सप्ताह के भ्रूण को गिराने का आदेश दिया।
याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस दवे ने कहा कि किसी महिला की गरिमा को छूने की कोशिश करने से बड़ा कोई अपमान नहीं है। अपने आदेश में पीठ ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी सभ्यता की भावना को समझने का सबसे अच्छा तरीका उसमें महिलाओं की स्थिति और उसके इतिहास का अध्ययन करना है। मामले को चौंकाने वाला और दर्दनाक बताते हुए जस्टिस दवे की पीठ ने अपने फैसले में’दुर्गा सप्तशती’ का हवाला दिया।
जस्टिस दवे ने लिखा, स्त्रिया: समस्ता: सकला जगत्सु (जगत की समस्त स्त्रियां तुम्हारा ही स्वरूप हैं।) अर्थात हे देवी जगदम्बे, जगत में जितनी भी स्त्रिया हैं वह सब तुम्हारी ही मुर्तिया हैं । इसलिए अगर स्त्री चाहे तो वह सब कर सकती हैं, जो वह करना चाहती हैं, यह ताकत सिर्फ उसी में हैं जो बड़े-बड़े संकटों का नाश कर, श्रेष्ठ से श्रेष्ठ और कठिनतम कार्य भी पूर्ण कर सकती हैं। जरुरत हैं तो सर्वशक्तिमान नारी को स्वयं को पहचानने को।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, याचिका स्वीकार की जाती है। प्रतिवादी संख्या 3 को पीडि़ता की गर्भावस्था आज से एक सप्ताह की अवधि के अंदर समाप्त करने का निर्देश दिया जाता है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को पीडि़ता को 2.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया, जिसमें से 50,000 रुपये तुरंत अदा करने और और शेष दो लाख रुपये उसके नाम पर बैंक में जमा करने को कहा गया है। कोर्ट ने कहा कि दो लाख रुपये पर सावधि जमा पर मिलने वाला ब्याज उसके 21 साल की आयु के होने तक दिया जाए।कोर्ट ने कहा कि जमा राशि पीडि़ता के 21 वर्ष की आयु के होने पर अदा की जाए।
अदालत ने अस्पताल को भ्रूण का डीएनए संरक्षित रखने का भी निर्देश दिया, जैसा कि याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था। डेडियापाडा स्थित संबद्ध पुलिस थाने को पीडि़ता का गर्भपात कराने के लिए वड़ोदरा स्थित अस्पताल ले जाने का निर्देश दिया गया। पीडि़ता की मां ने हाई कोर्ट का रुख कर अपनी बेटी का गर्भपात कराने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। इससे दो दिन पहले, नर्मदा जिला पुलिस ने पीडि़ता के पिता को गिरफ्तार कर लिया था।