देहरादून। स्कूल वाहनों के खिलाफ संभागीय परिवहन विभाग कार्रवाई तो करता है, लेकिन यह कार्रवाई दो-तीन दिन के विशेष अभियान के बाद सिमट जाती है। स्कूल वाहनों की निरंतर निगरानी और बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है, जिस कारण स्कूल वाहन संचालकों में खौफ नहीं हैं और बच्चों की सुरक्षा से खेल रहे हैं। सरकार के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी स्कूल वाहनों के लिए सुरक्षा मानक तय कर रखे हैं, लेकिन दून शहर में इनका पालन नहीं हो रहा है। विशेषकर स्कूल वैन नियमों का धज्जी उड़ा रहे हैं। वाहनों में क्षमता के अधिक छात्र-छात्राएं बैठाए जा रहे हैं। ठूंस-ठूंसकर बच्चों को बैठाया जा रहा है। जब सीटों में जगह नहीं मिल रही तो बच्चे खड़े-खड़े घर से स्कूल और स्कूल से घर आने को मजबूर हैं। सुरक्षा मानकों पर भी वाहन खरे नहीं उतरते। ज्यादातर वैन में फायर उपकरण, फर्स्ट एड बॉक्स, खिड़कियों पर ग्रिल नहीं हैं। रंग तक स्कूल जैसा नहीं हैं।
बावजूद स्कूल वाहनों की निगरानी और कार्रवाई के लिए जिम्मेदार परिवहन विभाग लापरवाह बना हुआ है। कभी-कबार वाहनों के खिलाफ दो या तीन दिवसीय विशेष चेकिंग चलाकार कार्रवाई की जाती है और विभाग में महीनों तक भूल जाता है, जिस कारण स्कूल वाहन संचालकों को डर नहीं हैं और वह बच्चों की सुरक्षा से खेल रहे हैं।
सुनिल शर्मा, आरटीओ (प्रशासन), देहरादून ने बताया कि स्कूल वाहनों के खिलाफ संभाग स्तर पर समय-समय पर चेकिंग अभियान चलाए जाते हैं। इसमें चालान के साथ वाहन सीज तक किए गए। जल्द फिर से अभियान चलाया जाएगा। वाहनों पर निंरतर नजर रखी जाएगी। –