पढऩे-पढ़ाने का तरीका, परीक्षा, क्लासरूम, यूनिफार्म, असेंबली में होगा बदलाव

नई दिल्ली। स्कूलों की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार होंगी। स्कूली शिक्षा में ऐसे कई और बदलाव होने हैं। इसके लिए ‘नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क’ तैयार किया गया है। यह बताएगा कि कक्षा 1 से 12वीं तक छात्र क्या पढ़ेंगे, कैसे पढ़ेंगे, छात्रों को स्कूलों में पढ़ाने सिखाने का तरीका क्या होगा।

बारीकी से तैयार किए गए इस दस्तावेज में यह तक बताया गया है कि स्कूलों की असेंबली कैसे होंगी, स्कूल बैग का भार कैसे कम होगा, किताबें कैसी होंगी और विभिन्न कक्षाओं में पढऩे वाले छात्रों के मूल्यांकन का आधुनिक तरीका क्या होगा। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क की बात करें तो देशभर के स्कूलों की यूनिफार्म में काफी विविधता देखने को मिल सकती है। मसलन देश के साथ इलाकों में यूनिफार्म अलग तरह की हो सकती है। गर्म इलाकों के लिए अलग यूनिफॉर्म डिजाइन किए जाने का प्रस्ताव है।

फ्रेमवर्क में कहा गया है कि स्थानीय मौसम के अनुकूल स्कूलों की यूनिफार्म तैयार की जाए। छात्रों को लिंग समानता के आधार पर यूनिफार्म का चुनाव करने का विकल्प भी दिया जा सकता है। गौरतलब है कि अभी तक कुछ खास स्कूलों की यूनिफार्म के आधार पर अधिकांश स्कूल वैसी ही यूनिफॉर्म को कॉपी करते दिखाई पड़ते हैं।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ही जारी किया है। यह फ्रेमवर्क बीते 36 वर्षों से जारी शिक्षा प्रणाली को बदलेगा। करिकुलम फ्रेमवर्क में कक्षा के आकार, डिजाइन व छात्रों की बैठने की व्यवस्था का भी जिक्र है। फ्रेमवर्क में कहा गया है कि कक्षा में छात्र गोलाकार आकार या अर्ध गोलाकार आकार में बैठ सकते हैं। इसके साथ ही स्कूलों की असेंबली प्रक्रिया को केवल एक रस्म अदायगी की बजाए अर्थपूर्ण व सिखाने वाली प्रक्रिया में परिवर्तित करने की सिफारिश की गई है।

वहीं मूल शिक्षा प्रणाली की बात करें तो नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क सेकेंडरी स्तर को चार अलग-अलग हिस्सों 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं में विभाजित करता है। इसमें छात्रों को कुल 16 विकल्प आधारित पाठ्यक्रमों को पूरा करना होगा। सेकेंडरी स्तर पर छात्रों को प्रत्येक स्तर के लिए 16 टेस्ट देने होंगे। 11वीं-12वीं में छात्रों को 8 विषयों में से हर ग्रुप के दो-दो विषय यानी कुल 16 विषय दो साल के दौरान पढऩे होंगे।

वहीं छात्रों को साल में दो बार होने वाली बोर्ड परीक्षाओं में से अपने सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाए रखने की अनुमति होगी।केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक अब बोर्ड परीक्षाओं का उद्देश्य छात्रों में विषयों की समझ का मूल्यांकन करना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नई पद्धति से कोचिंग और याद रखने की आवश्यकता में कमी आएगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि इसके अलावा, 11वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान विषयों का चयन सीमित नहीं रहेगा। छात्रों को 11वीं और 12वीं कक्षा में अपनी पसंद के विषय चुनने की सुविधा मिलेगी।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक कक्षा 11 और 12 के छात्रों को कम से कम दो भाषाएं पढऩी होंगी। मंत्रालय का कहना है कि 11वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ाई जाने वाली इन भाषाओं में से एक भारतीय भाषा होनी चाहिए। यह इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अगुआई में 12 सदस्यीय संचालन समिति द्वारा तैयार किया गया है। सिफारिशों को अपनाने के बाद एक बड़ा बदलाव होगा। गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के चार स्टेज हैं। इनमें फाउंडेशन, प्रीप्रेट्री, मिडिल और सेकेंड्री स्टेज शामिल हैं।

एनसीएफ के मुताबिक करिकुलम तैयार करने में शिक्षा बोर्डों की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। एनसीएफ में वोकेशनल, आर्ट्स, फिजिकल एजुकेशन को करिकुलम का अभिन्न अंग माना गया है। इसके लिए बोर्डों को इन एरिया के लिए हाई क्वालिटी टेस्ट सिस्टम को तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

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