नई दिल्ली। ग्रामीण फाउंडेशन ने घोषणा की कि वह भारत में डिजिटल इनोवेशन द्वारा सक्षम मार्केट एक्सेस (मंडी) परियोजना के दूसरे चरण को लॉन्च करके छोटे किसानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बढ़ाएगा, जिसे वॉलमार्ट फाउंडेशन के 2 मिलियन डॉलर के अनुदान ने संभव बनाया है। मंडी-ढ्ढढ्ढ का उद्देश्य किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की क्षमताओं का निर्माण करके पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छोटे किसानों, विशेषकर महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना होगा। मंडी प्रोजेक्ट के पहले चरण के दौरान, जिसे वॉलमार्ट फाउंडेशन का समर्थन भी मिला, ग्रामीण फाउंडेशन ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में 40 एफपीओ की क्षमता बढ़ाने में मदद की, बाजार के संचालन को सुविधापूर्ण बनाने में सहायक हुए और वित्त, डेटा और प्रौद्योगिकी तक पहुँच प्रदान की, विशेष रूप से महिला शेयरहोल्डरों की भागीदारी में वृद्धि की गई। यह ग्रामीण द्वारा रिपोर्ट किए गए मंडी प्रथम चरण की उपलब्धियों में शामिल है। जेंडर मुख्यधारा: 8,300 से अधिक महिलाओं को एफपीओ में नए सदस्यों के रूप में जोड़ा गया। 40 एफपीओ में से 18 में अब कम से कम 40 फीसदी महिला सदस्यता है। जबकि बेसलाइन पर यह 12.5 फीसदी थी। कुल 142 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को 25 एफपीओ के साथ जोड़ा गया है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न जेंडर-सम्मिलित मूल्य श्रृंखलाएं जैसे मोरिंगा, मिर्च, एलोवेरा जैसे औषधीय पौधे और डेयरी के साथ-साथ उत्पादन श्रृंखलाएं भी स्थापित की गई हैं। उत्पादन श्रृंखलाओं में लौकी से बनने वाली मिठाइयाँ और वैकल्पिक जैविक खाद के रूप में वर्मीकम्पोस्ट शामिल हैं। कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाना: एफपीओ द्वारा अपनाई गई 14 कृषि प्रौद्योगिकियों से लगभग 9,600 किसानों को लाभ हुआ। इन प्रौद्योगिकियों में डिजिटल, जलवायु-स्मार्ट और महिला मित्र जैसे समाधान शामिल हैं। इन समाधानों में आरडब्ल्यूसीएम,राइस डॉक्टर, राइस एक्सपर्ट, वंडर पाइप्स, डिबलर्स, कोनो वीडर, मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए फसल अमृत, माइक्रो-न्यूट्रिएंट सक्रियण के लिए बायो सॉइल्ज, और नाइट्रोजन संतुलन के लिए नैनो यूरिया शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त 27 एफपीओ के 1,200 किसानों ने विविधीकरण और जलवायु-स्मार्ट कृषि प्रथाओं के माध्यम से बायोफोर्टिफाइड जिंक गेहूं और बीटा कैरोटीन युक्त गाजर को अपनाया। वित्तीय प्रतिरोध क्षमता: एफपीओ ने भुगतान की गई पूंजी में 112त्न की वृद्धि का अनुभव किया, जो आंतरिक रूप से कार्यशील पूंजी उत्पन्न करने की उनकी क्षमता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त 29 एफपीओ को सार्वजनिक या निजी वित्तपोषण योजनाओं से जोड़ा गया, जिससे उन्हें वित्तीय संसाधनों तक पहुंचने और अतिरिक्त व्यावसायिक गतिविधियां स्थापित करने में मदद मिली। इन उपलब्धियों के आधार पर, मंडी परियोजना का दूसरा चरण पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में एफपीओ की स्थिरता और प्रतिरोध क्षमता को और बढ़ाने पर केंद्रित होगा। 24 महीने के हस्तक्षेप में हब और स्पोक मॉडल के माध्यम से 50 एफओपी को शामिल किया जाएगा, जिसमें कम से कम 40 फीसदी महिला किसानों को लक्षित किया जाएगा और 35,000 किसानों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा जाएगा।
मुख्य उद्देश्यों में किसानों की आय बढ़ाना, एफपीओ के प्रशासन और संचालन को मजबूत करना और व्यावसायिक व्यवहार्यता के लिए बाजार के नेतृत्व वाले उत्पादन को बढ़ावा देना शामिल है। मंडी के दूसरे चरण में उत्पादन में विविधता लाने, आजीविका को एकीकृत करने और किसानों की आय में सुधार करने के लिए व्यापक वन फॉर्म दृष्टिकोण भी अपनाया जाएगा। यह संगठित बाजार सेटअप तक पहुंच की सुविधा, आपूर्ति और मूल्य श्रृंखलाओं को मजबूत करने और जलवायु-लचीली प्रथाओं को बढ़ावा देकर टिकाऊ कृषि प्रथाओं को भी बढ़ावा देगा। मंडी-ढ्ढढ्ढ परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में छोटे और सीमांत किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। एफपीओ को पुनर्जीवित और सशक्त बनाकर, यह पहल किसानों की आय में वृद्धि करेगी, आजीविका में सुधार करेगी और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देगी।